आज का पंचांग 18 अक्टूबर 2025 : आज कार्तिक द्वादशी तिथि, जानें शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
Aaj Ka Panchang 18 October 2025
Aaj Ka Panchang 18 October 2025: धनतेरस दीपावली महोत्सव का पहला दिन होता है और इसे समृद्धि, स्वास्थ्य और नए आरंभ का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। पुरानी परंपरा के अनुसार सोना, चांदी, बर्तन या नया वाहन खरीदना शुभ होता है, क्योंकि यह घर में धन और सुख की वृद्धि का संकेत है। चलिए पढ़ते हैं आज का पंचांग और जानते हैं शुभ मुहूर्त के बारे में।
आज का पंचांग (Panchang 18 October 2025)
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि - रात 12 बजकर 18 मिनट तक, फिर त्रयोदशी तिथि प्रारंभ
ब्रह्म योग - देर रात 1 बजकर 48 मिनट तक
तैतिल - रात 12 बजकर 18 मिनट तक
गरज - देर रात 1 बजकर 2 मिनट तक
वार - शनिवार
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 6 बजकर 24 मिनट से
सूर्यास्त- शाम 5 बजकर 48 मिनट पर
चंद्रोदय - ब्रह्म मुहूर्त 4 बजकर 19 मिनट पर
चंद्रास्त - शाम 4 बजकर 19 मिनट पर
सूर्य राशि - तुला
चंद्र राशि - सिंह, सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक
अमृत काल - सुबह 8 बजकर 50 मिनट से सुबह 10 बजकर 33 मिनट तक
आज का अशुभ समय
राहुकाल - सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 10 बजकर 40 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 6 बजकर 24 मिनट से सुबह 7 बजकर 49 मिनट तक
यमगण्ड - दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से दोपहर 2 बजकर 57 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव पूर्व फाल्गुनीनक्षत्र में रहेंगे…
पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र - प्रात: 3 बजकर 41 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: विनम्रता, मेहनती स्वभाव, बुद्धिमत्ता, मददगार, उदार, ईमानदारी, बुद्धिमान, अध्ययनशील और परिश्रमी
नक्षत्र स्वामी: सूर्य देव
राशि स्वामी: सूर्य देव, बुध देव
देवता: आर्यमन (मित्रता के देवता)
गुण: राजस
प्रतीक: बिस्तर
आज का व्रत और त्योहार (धनतेरस\शनि प्रदोष व्रत)
धनतेरस
धनतेरस पर दीप जलाना, साफ-सफाई करना और दान-दान करना विशेष फलदायक माना जाता है। यह दिन केवल आर्थिक समृद्धि ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का भी अवसर देता है।
शनि प्रदोष व्रत
शनि प्रदोष व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से शनि देव की कृपा और प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए किया जाता है। शनि देव की पूजा और व्रत रखने से जीवन के कष्ट, बाधाएं और परेशानियाँ कम होती हैं और मानसिक शांति तथा स्थिरता मिलती है।
इस दिन उपवास रखकर, शुद्ध पानी से स्नान कर और शनि देव को तेल, काला तिल और काले वस्त्र अर्पित कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। साथ ही, जरूरतमंदों को दान देने से भी व्रत का फल बढ़ जाता है।
शनि प्रदोष व्रत विधि-
- शनि प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को मनाया जाता है। सूर्यास्त से पहले व्रत शुरू करना शुभ होता है।
- सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा के लिए शनि देव की मूर्ति/चित्र, काले तिल, तेल, दीपक, काले वस्त्र, पानी और फूल रखें।
- सूर्यास्त के समय दीपक जलाएं, तेल और काले तिल अर्पित करें। काले वस्त्र अर्पित करना शुभ होता है।
- मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जप करें।
- जरूरतमंदों को काले तिल, तेल या वस्त्र दान करें। शनि देव से जीवन में कष्टों से मुक्ति और स्थिरता की प्रार्थना करें।
- व्रत के दौरान हल्का भोजन या निर्जला व्रत रखें। व्रत पूरा होने पर शनि देव को प्रणाम कर समाप्त करें।